ये क्या हुआ मुझे प्रिये?
क्यों चांद इशारे करता है
क्यों बादल लिपटना चाहता है
क्यों पवन चूमकर जाता है
क्यों पुष्प सजाना चाहता है
ये क्या हुआ मुझे प्रिये
क्यों चांदनी छेड़ कर है
क्यों बिजली सिहरन बन जाती है
क्यों हवा मदहोश हुई जाती है
क्यों कली देख शरमाती है
ये क्या हुआ मुझे प्रिये
क्यों आईना देख लजाती हूं
क्यों चेहरा मेरा दमकता है
क्यों बिन बोले कुछ सुन लेती हूं
क्यों किसी की चाह में तड़पती हूं
ये क्या हुआ मुझे?
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