शुक्रवार, 2 दिसंबर 2016

मेरी कलम और तुम

आज नीले रंग की
एक कलम खरीदी मैंने
बेसब्र थी उससे
दिल की कुछ बात
लिख डालने के लिए
उसे गिरफ्त में लिया
तो दिल को मिला कुछ सुकून
चूम कर उसे मैंने
अपने सीने से लगाया
कलम से अपना प्रेम
मैंने कभी नहीं छुपाया
प्रेमातुर हो उसकी चमकीली
नीब को ज्योंही मैंने सफेद
कागज से सटाया
बिजली सी कौंधी और
जो बरसा वह था
सिर्फ तुम्हारा नाम, तुम्हारा नाम...
रजनीश आनंद
02-12-16

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