शनिवार, 31 दिसंबर 2016

तब सिर्फ दैहिक नहीं आत्मिक भी हो जायेगा प्रेम...

मात्र अदेह कल्पना नहीं
तुम तो मेरा साकार प्रेम हो
नहीं-नहीं यह मेरा भ्रम नहीं
तुम सचमुच मेरे सीने से लगे हो
और मैंने तुम्हारे बालों को
अपनी अंगुलियां से सहलाया भी है
तुम्हारी आंखों की शरारत
उनकी प्यास, उनका प्यार
सब देखा है मैंने
उनकी ख्वाहिशों को
महसूस किया है, साकार स्वरूप में
लेकिन क्या इतनी सी है
हमारे प्रेम की ख्वाहिशें
नहीं बिलकुल नहीं
हम तो चाहते हैं
उम्र भर साथ चलना
ऐसा हो हमारा साथ
कि बिन बोले समझ जायें
एक दूजे की बात
और जब धुंधली हो जाये नजर मेरी
तब पढ़ देना तुम
मेरे लिए अखबार
और मैं तुम्हें मदद करूंगी
अपनी कांपती हाथों से
पहनने में स्वेटर,टोपी और मफलर
तब ना कहना तुम
टोपी ना पहनाओ प्रिये
अच्छा नहीं लगता
साथ बैठ चाय पीयें हम
और चाय की चुस्कियों के साथ
तुम बताना मुझे देश-विदेश की बातें
और मैं तुम्हें एकटक ताकती रहूंगी
तब, जब सिर्फ दैहिक नहीं
आत्मिक भी हो जायेगा हमारा प्रेम...
रजनीश आनंद
31-12-16 

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