बुधवार, 7 दिसंबर 2016

अब विश्वास हो चला है...

जीवन में सबकुछ बुरा नहीं
जरूरत है अच्छाइयों से
पहचान बनाने की
बुराई के अंधकार को परे रख
अच्छाई के प्रकाश को
मैंने हथेलियों में समेट लिया है
और देखो ना, साथी के रूप में
नजर आये हो तुम
हृदय को मिला है सुकून
तुम्हारे होने के आभास मात्र से
जागी हैं नयी उम्मीदें,
नयी ऊर्जा से लबरेज हूं
हां, अब अकेली नहीं मैं
जीवनपथ पर संघर्ष तो करना है मुझे
किंतु अगर लड़खड़ाई मैं
तो तुम थाम लोगे मुझे
यह विश्वास अब हो चला है
क्योंकि तुम्हारे साथ होने का अहसास
अब मजबूत हो चला है...
रजनीश आनंद
07-12-16

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