मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

कैसा है प्रेम रंग?

कैसा है प्रेम रंग?
बताओ ना प्रिये
हरा, नीला लाल या फिर केसरिया
जानना चाहती हूं मैं
खुद को उस रंग में
रंगना चाहती हूं
सूरज और उसकी लालिमा को
जब देखती हूं
तो लगता है शायद
लाल है प्रेम रंग
तब ही तो सूर्योदय से
सूर्यास्त तक सूर्य
अलग नहीं होता उससे
लेकिन जब इस गगन को
देखती हूं धरती को अपनी बांहों में
समेटने के लिए झुका हुआ तो लगता है
नीला है प्रेम रंग
फिर जब गगन का आलिंगन पा
मादकता में डूबी हरी-भरी धरती को
देखती हूं तो प्रतीत होता है
हरा है प्रेम रंग
लेकिन जब तुम्हारी बांहों के घेरे में
खुद को बेसुध पाती हूं, तो भान होता है
तुम्हारे रंग में रंगा है प्रेम रंग
तो रंग दो ना प्रिये मुझे
अपने रंग में...

रजनीश आनंद
20-12-16


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें