मंगलवार, 8 नवंबर 2016

तुम मृत्यु नहीं सृजन हो...

डूबती किश्ती नहीं मैं
ना तुम तिनके का सहारा
मेरे लिए बहुत खास हैं
तुम्हारे होने के मायने
बिलकुल वैसे जैसे किसी
मूर्तिकार के लिए गीली मिट्टी
और चित्रकार के लिए रंग
तुम मृत्यु नहीं सृजन हो मेरे जीवन के
नकारात्मकता का तिमिर छंटा तब,
जब आये तुम जीवन में
बने रहना सदा यूं ही
तुम जीवन प्राण बनके
मृत्यु शैय्या पर जाऊं जब मैं
तुम थाम लेना बांह मेरी
कह देना बस एक बात
तुम प्राणप्रिया मेरी
चैन से तब मैं जा पाऊंगी
इस नश्वर जगत से
तुम ही तुम हो चारों ओर
जब निकले अंतिम यात्रा मेरी
रजनीश आनंद
08-11-16

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