सोमवार, 28 नवंबर 2016

वो निर्मल जल है...

चांद सुनो
किसी को दिखते होंगे
पर मुझे तो अपने प्रिये में
कोई अवगुण नहीं दिखते
यह महज किताबी बात नहीं
अहसास है जिसे समझने के लिए
प्रेम में पगा हृदय चाहिए
बेशक हर इंसान में कमियां होती हैं
उसमें भी होंगी, लेकिन वो मुझे
उन कमियों के साथ प्यारा है
मन उसका निर्मल जल
बोली गन्ने के रस जैसी
मुख दीवाली के दीये सा प्रकाशमान
हृदय केशव सा विशाल
नयनों में अपार सपने
मन में अद्भुत इच्छाशक्ति
और सबसे बड़ी बात
उसे प्रेम है मुझसे
तो तुम ही कहो
क्योंकर दिखेगा मुझे
उसमें कोई अवगुण
रजनीश आनंद
28-11-16

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